Daudti Yaadein 10th Ke Saathi



 इस ठंडी सरक़ सी दुनिया में,
दोपहर से वो होते हैं।

ये दुनिया बड़ी पराई है,
बस दोस्त घर से होते हैं।

वो शुरुआत में अजनबी होते हैं,
फिर अपने बन जाते हैं,
कभी दुआ बन जाते हैं,
तो कभी सपने बन जाते हैं।

दस्तक दोस्त नहीं देते, वो सीधे दिल में आते हैं,
दोस्त साथ होते, तो रास्ते सीधे मंज़िल पे जाते हैं।

जहां धूप सुनहरी खिलती हो,
ऐसे अंबर से होते हैं।

ये दुनिया बड़ी पराई है,
बस दोस्त घर से होते हैं।

कभी हंसी में बहते हैं,
कभी परीक्षाओं के ग़म में रोते हैं।

साझा करते हर ख़ुशी को,
दुख में वो हमें संभालते हैं।

हर मोड़ पर साथ होते हैं,
जैसे सितारे आसमान में।

स्कूल की गलियों में खिलते हैं,
यादों की महफ़िल में मिलते हैं।

तो चलो इस सफ़र में,
हम दोस्ती की कहानी लिखें।

हर लम्हे को ख़ूबसूरत बनाएं,
साथ मिलकर हर दर्द सहें।

Co-author: Nadim Khan

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